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Thursday, May 16, 2024

Onam 2022 ओणम पर्व आज से शुरू, जानें इसका महत्व और पूजन विधि

ओणम जिसे मलयालम भाषा में थिरुवोणम भी कहते हैं, 10 दिनों तक चलने वाला त्योहार है. ओणम को खासतौर पर खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि केरल में महाबलि नाम का एक असुर राजा था. उसके आदर सत्कार में ही ओणम त्योहार मनाया जाता है. ये त्योहार भगवान विष्णु के वामन अवतार को भी समर्पित है.

Onam 2022: ओणम दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्योहार है. वैसे तो ओणम का त्योहार मुख्य रूप से केरल में मनाते हैं, लेकिन इसकी धूम पूरे दक्षिण भारत में होती है. ओणम जिसे मलयालम भाषा में थिरुवोणम भी कहते हैं, 10 दिनों तक चलने वाला त्योहार है. ओणम को खासतौर पर खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि केरल में महाबलि नाम का एक असुर राजा था. उसके आदर सत्कार में ही ओणम त्योहार मनाया जाता है. ये त्योहार भगवान विष्णु के वामन अवतार को भी समर्पित है. आज गुरुवार, 08 सितंबर से ओणम की शुरुआत हो रही है.

ओणम का महत्व (Onam 2022 importance)

मलयालम सौर कलैंडर के अनुसार, ओणम का त्योहार चिंगम महीने में मनाया जाता है. चिंगम को मलयालम लोग साल का पहला महीना मानते हैं. वहीं हिंदू कलैंडर के अनुसार देखें तो चिंगम महीना अगस्त या सितंबर का होता है. ओणम के हर दिन का एक खास महत्व हैं. इस त्योहार में लोग अपने घरों को 10 दिनों तक फूलों से सजा कर रखते हैं और विधि विधान से विष्णु जी और महाबली की पूजा करते हैं. ओणम का यह त्योहार नई फसल के आने की खुशी में भी मनाया जाता है.

ओणम 2022 तिथि और मुहूर्त (Onam 2022 muhurat)

पंचांग के अनुसार, इस साल थिरुवोणम नक्षत्र बुधवार, 07 सिंतबर को शाम 04 बजे से लेकर गुरुवार, 08 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. ओणम का त्योहार थिरुवोणम् नामक इसी नक्षत्र में मनाया जाता है.

ओणम 2022 पूजा विधि(Onam 2022 puja vidhi)

ओणम के दिन सवेरे-सवेरे स्नानादि के बाद मंदिर जाकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. नाश्ते में केला पापड़ आदि खाया जाता है. इसके बाद लोग ओणम पुष्पकालीन या पकलम बनाते हैं. इस दिन लोग अपने घर को फूलों से सजाते हैं. इसके अलावा ओणम पर्व पर केरल में नौका दौड़, भैंस और बैल दौड़ आदि तरह की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है.

क्यों मनाया जाता है ओणम का त्योहार?

ओणम का त्योहार मनाने के पीछे बहुत सी मान्यताएं हैं, जिनमें से एक मान्यता के अनुसार, यह पर्व दानवीर असुर राजा बलि के सम्मान में मनाया जाता है. कहा जाता है कि विष्णु जी ने वामन का अवतार लेकर बलि के घमंड को तोड़ा था, लेकिन उसकी वचनबद्धत्ता को देखने के बाद विष्णु जी ने उसे पाताल लोक का राजा बना दिया था. दक्षिण भारत के लोग यह मानते हैं कि ओणम के पहले दिन राजा बलि पाताल लोक से धरती पर आते हैं और अपनी प्रजा का हाल चाल लेते हैं. 

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SourceAajtak

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