वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के अनुसार दिशाओं का विशेष महत्व एवं व्यक्ति के जीवन से गहरा संबंध होता है. घर में किसी भी वस्तु की दिशा खराब हो तो पूरे घर में वास्तु दोष उत्पन्न होता है. यदि घर की बनावट और वस्तुओं का रख-रखाव वास्तु शास्त्र के नियमों के आधार पर नहीं होता तो घर में सुख-शांति एवं समृद्धि नहीं बन पाती. साथ ही कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में जानना महत्वपूर्ण है कि घर में दिशाओं का कैसे ध्यान रखा जाए जिससे घर-परिवार एवं जीवन में खुशियां बनी रहें. आइए जानते हैं पूर्व दिशा से संबंधित वास्तु टिप्स.
- पूर्व दिशा के प्रतिनिधि देवता सूर्य हैं. सूर्य पूर्व से ही उदित होते हैं.
- यह दिशा शुभारंभ की दिशा है. भवन के मुख्य दरवाजे को इसी दिशा में बनाना चाहिए.
- इसके पीछे दो तर्क हैं. पहला- दिशा के देवता सूर्य को सत्कार देना और दूसरा वैज्ञानिक तर्क यह है कि पूर्व में मुख्य द्वार होने से सूर्य की रोशनी व हवा की उपलब्धता भवन में पर्याप्त मात्रा में रहती है.
- सुबह के सूरज की पैरा बैंगनी किरणें रात्रि के समय उत्पन्न होने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं को खत्म करके घर को ऊर्जावान बनाएं रखती हैं.
- घर के पूर्वी हिस्से में अधिक खाली जगह हो तो धन एवं वंश की वृद्धि होती है.
- घर की पूर्व दिशा में दीवार जितनी कम ऊंची होगी उतनी ही मकान मालिक को यश-प्रतिष्ठा, सम्मान प्राप्त होगा. ऐसे मकान में रहने वाले लोगों को आयु और आरोग्य दोनों की प्राप्ति होती है.
- पूर्वी दिशा में कुआं या पानी की टंकी हो तो यह शुभ फलदायी है.
- पूर्वी दिशा में नियमित मुख्य द्वार या अन्य द्वार आग्नेयमुखी हों तो दरिद्रता, अदालती मामले, चोरों का भय एवं अग्नि का भय बना रहता है.