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Friday, September 20, 2024

स्मार्टफोन से पौधों को नियंत्रित कर रहे हैं वैज्ञानिक

सिंगापुर में वैज्ञानिकों ने एक तकनीक ईजाद की है जिसके जरिए वे कीट-पतंगे खाने वाले पौधों को स्मार्ट फोन से नियंत्रित कर रहे हैं.

वैज्ञानिक स्मार्ट फोन से इलेक्ट्रिक सिग्नल के जरिए वीनस फ्लाई ट्रैप को कंट्रोल कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि यह खोज रोबॉटिक्स से लेकर पौधों से पर्यावरण की जानकारी लेने जैसे कई तरीकों से काम आ सकेगी. सिंगापुर के नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में शोधकर्ता लू यिफेई बताती हैं कि स्मार्टफोन में एक ऐप से पौधे पर लगाए गए छोटे से इलेक्ट्रोड तक एक सिग्नल भेजा जाता है.

सिग्नल मिलते ही पौधा अपनी पत्तियां वैसे ही बंद कर लेता है जैसे यह कीट-पतंगों को पकड़ने के लिए करता है. यूनिवर्सिटी के मटिरियल्स साइंस ऐंड इंजीनियरिंग स्कूल में काम करने वालीं लू बताती हैं, “पौधे भी इंसानों की तरह ही होते हैं. जैसे हमारे हृदय से ईसीजी निकलते हैं वैसे ही वे भी इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजते हैं. हमने एक तकनीक विकसित की है जो इन सिग्नलों को पकड़ सकती है. यह तकनीक पौधे की सतह से ही इलेक्ट्रिक सिग्नल पढ़ लेती है.”

वैज्ञानिक बताते हैं कि इस तकनीक के जरिए पौधों को सॉफ्ट रोबॉट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. तब पौधों को ऐसी नाजुक और बारीक चीजें उठाने के काम में लगाया जा सकता है, जो औद्योगिक उपकरणों से उठाने पर टूट सकती हैं. साथ ही ये पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह नहीं होंगे. वैसे विशेषज अब यह भी सोच रहे हैं कि इन्सानों और पौधों के बीच संवाद एकतरफा ही क्यों हो.

एनटीयू की शोध टीम अब यह उम्मीद कर रही है वे पौधों से सीधे सिग्नल पकड़ सकें और समझ सकें कि क्या कहा जा रहा है. मसलन, बीमारी या किसी असामान्य गतिविधि के संकेत, लक्षण नजर आने से पहले ही मिल सकते हैं. लू पौधों को अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल करने के बारे में सोच रही हैं. वह कहती हैं, “हम पौधों को पर्यावरण प्रदूषण जैसे गैस, जहरीली गैसें या जल प्रदूषण आदि का पता लगाने के लिए सेंसर के तौर पर इस्तेलमाल कर सकते हैं.”

लेकिन वह इस बात पर जोर देती हैं कि इस तकनीक को व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए अभी बहुत लंबा सफर तय करना है. हालांकि उद्योग जगत में इस तकनीक को लेकर खासा उत्साह है. पौधे बेचने और लोगों को स्वास्थ्य संबंधी पर्यटन करवाने वाली कंपनी एसजी वीनसफ्लाईट्रैप के संस्थापक डैरेन इंग कहते हैं कि यह तकनीक स्वागतयोग्य है. वह कहते हैं, “अगर पौधे हमसे बात कर पाएं तो शायद उन्हें उगाना आसान हो जाएगा.”

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SourceDw.com

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