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Saturday, September 21, 2024

रूस ने किया परमाणु मिसाइल का परीक्षण, पुतिन ने बताया ‘सर्वोत्तम’

रूस ने बुधवार को नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है जो परमाणु हथियारों को ले जा सकने में सक्षम है. परीक्षण के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यह मिसाइल रूस के दुश्मनों को रुक कर सोचने पर मजबूर कर देगी.

इस मिसाइल के परीक्षण के बाद पुतिन को टीवी पर दिखाया गया जहां उन्हें सेना ने बताया कि जिस सरमत मिसाइल के परीक्षण का लंबे समय से इंतजार था, वह कर लिया गया है. रूस के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में पलेस्तेक में यह परीक्षण किया गया. मिसाइल ने लगभग 6,000 किलोमीटर दूर स्थित कामाचातका प्रायद्वीप में अपने निशाने पर हमला किया.

साइबेरिया के बर्फीले जंगलों में डाक पहुंचाने वाला डाकिया

उन्होंने कहा कि यह हथियार रूसी सेनाओं की युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि करेगी. पुतिन ने कहा, “यह मिसाइल बाहरी खतरों से रूसी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.” रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि नई मिसाइल इस पतझड़ में सेना कौ सौंप दी जाएगी.

सरमत मिसाइल पर रूस काफी समय से काम कर रहा था, इसलिए पश्चिमी देशों को इस परीक्षण से ज्यादा हैरत नहीं हुई है. हालांकि वैश्विक तनाव के बीच एक परमाणु हथियार के परीक्षण को लोगों ने चिंतित जरूर किया है. यूक्रेन में रूस दो महीने से अपना ‘सैन्य अभियान’ जारी रखे हुए है और अब तक वह एक भी बड़े शहर पर कब्जा नहीं कर पाया है.

आठ हफ्ते पहले जब पुतिन ने यूक्रेन पर हमला किया था तब परमाणु हथियारों का जिक्र एक प्रतीक के तौर पर किया था और कहा था कि अगर कोई देश उसके रास्ते में आने की कोशिश करेगा तो “उसे ऐसे नतीजे भुगतने होंगे जो इतिहास में पहले कभी नहीं देखे होंगे.” इस बयान के कुछ ही दिन बाद पुतिन ने अपनी सेना की उस टुकड़ी को चौकस कर दिया, जिसके जिम्मे परमाणु हथियार होते हैं.

परमाणु युद्ध का खतरा

पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कहा था कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा नजर आ रहा है. गुटेरश ने कहा, “जिस परमाणु युद्ध के बारे में कभी सोचना भी दूभर था, वह अब संभावना के दायरों में नजर आने लगा है.”

लंदन स्थित थिंक टैंक आरयूएसआई (RUSI) के जैक वॉटलिंग कहते हैं कि विक्ट्री डे परेड से तीन हफ्ते पहले रूस का यह परीक्षण एक प्रतीकात्मक संकेत है. वॉटलिंग ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “इस परीक्षण का समय बताता है कि रूस चाहता है कि विक्ट्री डे के दौरान उसके पास दिखाने के लिए कोई तकनीकी उपलब्धि हो, क्योंकि उनकी बहुत सी तकनीकों ने वैसे नतीजे नहीं दिए हैं जैसी उन्होंने उम्मीद की थी.”

एक विशेषज्ञ इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटिजिक स्टडीज के सीनियर फेलो डगलस बैरी कहते हैं कि डिजाइन की दिक्कतों और धन के अभाव में यह मिसाइल लंबे समय से अटकी हुई थी और इसका परीक्षण एक बड़ी उपलब्धि है. वह कहते हैं कि इसके इस्तेमाल से पहले अभी और कई परीक्षणों की जरूरत होगी लेकिन यह एसएस-18 और एसएएस-19 मिसाइलों की जगह ले सकेगी, जो “अपनी अंतिम तिथि से बहुत ज्यादा समय तक काम कर चुकी हैं.”

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SourceDw.com

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