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Saturday, September 21, 2024

रूस का हाइपरसॉनिक मिसाइलें फायर करने का दावा

रूसी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स ने रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इगोल कोनाशेंको के हवाले से कहा, “हाइपरसॉनिक मिसाइलों वाले किंजाल एविएशन मिसाइल सिस्टम ने यूक्रेनी सेना के उन बड़े भूमिगत गोदामों को खत्म कर दिया है, जहां मिसाइलें और हवाई विस्फोटक रखे गए थे.” निशाना बनाए गए गोदाम नाटो के सदस्य देश रोमानिया की सीमा से सटे पश्चिमी यूक्रेन में हैं.

यूक्रेनी वायुसेना के प्रवक्ता यूरी इग्नाट ने हथियार डिपो पर रूसी हमले की पुष्टि की है. इग्नाट ने कहा, “दुश्मन ने हमारे डिपों को निशाना बनाया है, लेकिन हमें इस बात की जानकारी नहीं है कि मिसाइलें किस टाइप की थीं.”

इग्नाट के मुताबिक रूसी मिसाइल हमले ने नुकसान पहुंचाया है. “वे अपने जखीरे में मौजूद सारी मिसाइलों को हमारे खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं.”

पहली बार किंजाल हाइपरसॉनिक मिसाइलों से हमला

अगर रूस का यह दावा सही है, तो इसका मतलब होगा कि दुनिया में पहली बार किसी युद्ध में इस तरह के अत्याधुनिक हथियार का इस्तेमाल हुआ है. रूस की किंजाल हाइपरसॉनिक मिसाइलें मैक 10 की रफ्तार से निशाने की ओर बढ़ती हैं और 1,931 किलोमीटर की दूर तक मार कर सकती है.

मैक 10 स्पीड का मतलब है कि ध्वनि की रफ्तार से 10 गुना ज्यादा तेज. ध्वनि की रफ्तार माहौल और माध्यम के मुताबिक बदलती है, इसीलिए मैक 10 को सटीक ढंग से किलोमीटर प्रतिघंटा या मीटर प्रति सेकेंड में बदलना कठिन है. हालांकि, मोटे तौर पर रूस हवा में किंजाल मिसाइलों की रफ्तार 12,300–14,700 किलोमीटर प्रतिघंटा बताता है.

रूसी हाइपरसॉनिक मिसाइल के फ्लाइट पाथ में बदलाव भी किया जा सकता है. इन मिसाइलों की स्पीड और पोजिशनिंग के कारण दुनिया में अभी तक ऐसा कोई मिसाइल डिफेंस सिस्टम नहीं है, जो इन मिसाइलों को रोक सके.

सैन्य विशेषज्ञ वैस्ली काशिन ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा, “दुनिया में यह पहला मामला है, जब इस तरह के हाइपरसॉनिक हथियार इस्तेमाल किए गए हैं.”

नाटो और अमेरिका के लिए चिंता हैं ये हाइपरसॉनिक मिसाइलें

रूस की किंजाल हाइपरसॉनिक मिसाइलें नई पीढ़ी के हथियार हैं. 2018 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद अंडरवॉटर ड्रोनों के साथ इन मिसाइलों को दुनिया के सामने पेश किया था. इन्हें नाटो के युद्धपोतों और मिसाइल डिफेंस सिस्टमों के भेदने के इरादे से तैयार किया गया है. रूस का दावा है कि मिसाइलें वायुमंडल की कई परतों को पारकर वापस तेजी से धरती पर हमला कर सकती हैं.

अक्टूबर 2021 में अमेरिकी सेना के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के चैयरमैन मार्क माइक ने चीन के हाइपरसॉनिक मिसाइल टेस्ट को बेहद चिंताजनक बताया था. माइक ने इसे “स्पुतनिक लम्हा” करार दिया. 1957 में स्पुतनिक लॉन्च कर सोवियत संघ ने अमेरिका समेत पूरी दुनिया को चौंका दिया था. तब अंतरिक्ष अनुसंधान में सोवियत संघ की शुरुआती बढ़त से अमेरिका खासा बेचैन हो गया था. चीन के हाइपरसॉनिक मिसाइल टेस्ट को भी अमेरिकी सेना के शीर्ष अधिकारी इसी तरह देखते हैं.

हाइपरसॉनिक होड़

वैस्ली काशिन मॉस्को के हाईस्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सेंटर फॉर कॉम्प्रिहेंसिव यूरोपियन एंड इंटरनेशनल स्टडीज के हेड हैं. उनके मुताबिक हाइपरसॉनिक मिसाइलें क्रूज मिसाइलों की तुलना में ज्यादा घातक हैं. ये भूमिगत ठिकानों को भी बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं. “हाइपसॉनिक मिसाइल ज्यादा गहराई तक और अधिक घातक तरीके से मार कर सकती है, क्योंकि इसकी रफ्तार बहुत ही तेज होती है.”

क्या फिर शुरू हो रही है हथियार होड़

काशिन के मुताबिक इसमें कोई शक नहीं है कि हाइपरसॉनिक हथियारों की रेस में फिलहाल रूस सबसे आगे है. चीन, अमेरिका और अन्य कई देश भी इस तकनीक में महारथ हासिल करने में जुटे हैं.

ओएसजे/वीएस (एपी, एएफपी)

यह भी पढ़े – भूकंप के बाद फिर बढ़ी परमाणु संयंत्रों को लेकर चिंता

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SourceDw.com

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