रथयात्रा के पांचवें दिन प्रभु जगन्नाथ को उनके धाम वापस ले जाने के लिए पत्नी महालक्ष्मी मंगलवार को मासीबाड़ी पहुंचीं। लेकिन भगवान जाने को तैयार नहीं हुए तो नाराज लक्ष्मी ने उनका रथ तोड़ दिया। धनसार स्थित जगन्नाथ मंदिर और मांझेरपाड़ा स्थित दुर्गामंडप में हेरा पंचमी को लेकर मंगलवार को विशेष पूजन का आयोजन किया गया।
रात्रि में रथ भंग की लीला हुई। धनसार मंदिर कमेटी के सदस्य माहेश्वर राउत ने बताया कि पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर का पूरा अनुष्ठान अपनाया जा रहा है। अनुष्ठान में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए पुरी से विशेष पुरोहित बुलाए गए हैं। फिलहाल भगवान जगन्नाथ को बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ उनके मंदिर के बगल में स्थित मासीबाड़ी में रखा गया है। भगवान के भोग से लेकर शयन तक का अनुष्ठान मासीबाड़ी में ही हो रहा है।
लक्ष्मी के आगमन पर पीठा और दही पोखाल का भोग
पुरी से आए पुरोहित देवाशीष पंडा ने बताया कि लक्ष्मी के आगमन पर विशेष पूजा का आयोजन हुआ। उन्हें पीठा और दही पोखाल का विशेष भोग अर्पण किया गया। दही पोखाल दही में चावल (भात) का मिश्रण, जिसमें पोदिना, लौंग, इलायची सहित 14 प्रकार की सामग्री डाली जाती है। तीनों प्रहर यह भोग अर्पण किया गया। बताया कि विधि अनुसार माता लक्ष्मी को मुख्य मंदिर से मासीबाड़ी पालकी में लाया गया। यहां पर पुरोहित उन्हें गर्भ गृह ले कर गए और भगवान जगन्नाथ से उनका मिलन कराया। यहां लक्ष्मी जगन्नाथ को वापस अपने धाम चलने का निवेदन करती हैं।
बॉक्स
नहीं चलने पर लक्ष्मी ने तोड़ दिया भगवान का रथ
पुरोहित बताते हैं कि साथ नहीं चलने पर मुख्य मंदिर में वापस लौटने से पूर्व मां लक्ष्मी नाराज होकर अपने एक सेवक को आदेश देती हैं कि वह जगन्नाथ जी के रथ नंदीघोष का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त कर दे। इस अनुष्ठान को रथ भंग कहा जाता है। महेश्वर राउत ने बताया कि 09 जुलाई को भगवान वापस मासीबाड़ी से मुख्य मंदिर लौटेंगे। इसे बाहुड़ा या घुरती रथ भी कहते हैं। इस दिन महाभंडारे का आयोजन होगा।
ये भी पढ़े :- वेस्टइंडीज दौरे के लिए टीम इंडिया का ऐलान, शिखर धवन को कमान, रवींद्र जडेजा उपकप्तान