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Thursday, September 19, 2024

जेम्स वेबः अंतरिक्ष दूरबीन के नाम पर मचा है झगड़ा

“नासा का विशाल होमोफोबिक दूरबीन का नाम बदलने से इंकार” – खबरों के ऐसे शीर्षक सामने आते हैं तो उनसे निगाह हटाना मुश्किल हो जाता है. या फिर ऐसे ट्वीटः “तो हमारे पास होगी नाजी-प्रिय एक होमोफोबियाग्रस्त अंतरिक्ष दूरबीन. इसमें भला कैसा ताज्जुब कि हमारा देश कितना गिर चुका है.”

या ये ट्वीटः “नस्ली मुद्दों पर किसी के प्रगतिशील नजरिए की दलील पेश करना, समलैंगिकों के प्रति उनकी नफरत को अनदेखा करने की कोशिश है और ये एंटी-ब्लैक यानी कालों के विरुद्ध है. इसके जरिए विपरीतलिंगी और पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं को मानने वाले कालों का इस्तेमाल कवच की तरह किया जाता है और क्वीअर यानी समलैंगिक काले लोगों को मिटा दिया जाता है.”

अमेरिकी खगोलविज्ञान की दुनिया में इन दिनों चल रही तीखी बहस का अंदाजा लगाने के लिए आपको दूरबीन की जरूरत नहीं है. ये बहस है भेदभाव के बारे में, खासकर समलैंगिकों के प्रति नफरत के बारे में, इतिहास के दिग्गजों के बारे में जिनके नाम का इस्तेमाल सम्मान के साथ चीजों, खोजों और स्मारकों में किया जाता है. ये बहस जिम्मेदारी के बारे में भी है और उस चीज के बारे में भी जिसे सच का दर्जा हासिल है.

दिसंबर 2021 में हम इसी नाजुक बहस के मोड़ पर हैं जबकि इसी बीच नासा अंतरिक्ष में हबल के बाद, अपनी सबसे विशाल दूरबीन भेज रहा है. ये विभाजन और विवाद, युवा वैज्ञानिकों को इस फील्ड में आने से रोक रहे हैं. जाहिर है कि ये बहस, मनुष्यता की भलाई के लिए हासिल होने वाले रोमांचक वैज्ञानिक डाटा को खंगालने से भी ध्यान भटका सकती है.  

अंतरिक्ष दूरबीन के बारे में

बहस के केंद्र में है जेम्स वेब अंतरिक्ष दूरबीन. 1990 में हबल को अंतरिक्ष में स्थापित करने से पहले ही वैज्ञानिकों ने इस दूरबीन पर काम करना शुरू कर दिया था. लेकिन नासा का कहना है कि जेम्स वेब, हबल की ना तो उत्तराधिकारी है, न ही उसका विकल्प. वो हबल का विस्तार है यानी उसकी रेंज में इजाफा करने के लिए तैयार की गई है. हबल से उलट, वो इंफ्रारेड रेंज में प्रकाश की शिनाख्त करेगी. तभी खगोलविज्ञानी, अंतरिक्ष में धूल और गैस के बादलों के पार देख पाएंगे और उन परिघटनाओं से जुड़ी और साफ स्पष्ट तस्वीरें हासिल कर पाएंगे जिनसे ये पता चलेगा कि आज से साढ़े 13 अरब साल पहले, सबसे प्रारंभिक सितारे और आकाशगंगाएं कैसे निर्मित हुई थीं.

इस दूरबीन को तैयार होने में बहुत लंबा समय लगा है. अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में ये सबसे महंगे अभियानों में से भी एक है. संकल्पना से लेकर शुरुआती पंचवर्षीय ऑपरेशन के पूरा होने तक इसकी कीमत करीब दस अरब डॉलर आई है.

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने लॉन्च के लिए दो विज्ञान उपकरण और एक एरियान 5 रॉकेट मुहैया कराया है. लॉन्च 25 दिसंबर के लिए निर्धारित किया गया है. और ईयू ने 70 करोड़ यूरो खर्च किए हैं. कनाडा की स्पेस एजेंसी ने 20 करोड़ कनाडाई डॉलर की कीमत वाले सेंसर और उपकरण मुहैया कराए हैं.

अंतरिक्ष के लिए ये एक बड़ा अवसर है. और इसीलिए ये स्वाभाविक है कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष खोज में दूरबीन को “स्मारक” का दर्जा भी कुछ लोगों ने दिया है.

जेम्स वेब की कहानी

जेम्स वेब नासा के दूसरे प्रशासक थे. यानी उसके प्रमुख या निदेशक थे, और उस पद पर 1961 से 1968 तक कार्यरत रहे थे. उससे पहले वो अमेरिकी विदेश विभाग में अंडर सेकेट्री के पद पर थे. 2002 में नासा के तत्कालीन प्रशासक शॉं ओ कीफे ने वेब के सम्मान में, निर्माणाधीन दूरबीन का नाम “नेक्स्ट जेनरेशन स्पेस टेलिस्कोप” यानी “अगली पीढ़ी की अंतरिक्ष दूरबीन” से बदलकर, जेम्स वेब के नाम पर रखने का फैसला किया.

डीडबल्यू को भेजे ईमेल में एक प्रवक्ता ने बताया कि “नासा के शुरुआती वर्षों में जेम्स वेब ने एक सक्रिय वैज्ञानिक कार्यक्रम को बहाल रखने में अहम भूमिका निभाई थी.” वह शीत युद्ध का दौर था, और अमेरिका में सामाजिक उथल-पुथल का. अमेरिका के चांद अभियानों का भी वो दौर था.

चांद पर जाना अमेरिका या किसी औऱ देश के लिए कोई आसान काम न था. वह एक तीखा और तपिश भरा राजनीतिक समय था और दुनिया दूसरे विश्व युद्ध से उबर ही रही थी. ऐसे अभियानों में अपार धनराशि खर्च होनी थी जिसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल था.

जेम्स वेब राजनीति के माहिर खिलाड़ी थे और उस सबके केंद्र में विज्ञान को रखने में सफल भी रहे. उनकी इसी सामरिक चतुराई के सम्मान में दूरबीन को उनका नाम देने का विचार बना. लेकिन क्या मौलिक नाम में कोई खास कमी या त्रुटि थी? नासा ने इस पर कुछ नहीं कहा.

नासा के एलिस फिशर ने लिखित जवाब में इतना ही कहा, “अभियान का नाम बदलना वैसा ही है जैसे कि 2017 में सोलर प्रोब प्लस का नाम बदलकर पार्कर सोलर प्रोब कर देना- और ये असामान्य बात नहीं है.”

बात ऐतिहासिक समलैंगिक घृणा की

लेकिन दूरबीन को जेम्स वेब का नाम दिए जाने पर अमेरिका के खगोलविज्ञानियों में दोफाड़ है. कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि वेब समलैंगिकों से घृणा करते थे, और संभवतः विदेश विभाग और नासा की उन कोशिशों में शामिल भी थे जिनके जरिए गे लोगों की उपेक्षा की गई, नौकरी से निकाला गया और उनका “दमन” तक किया गया. इसलिए दूरबीन को वेब का नाम देकर सवाल ये है कि क्या नासा भेदभाव की विरासत का उत्सव मना रहा है और नयी पीढ़ी के खगोलविदों को एक नकारात्मक संकेत दे रहा है.

शिकागो के एडलर प्लेनीटेरियम में खगोलविद् और जेम्स वेब दूरबीन का नाम बदलने वाली याचिका की सह-लेखक लूसियाने वाल्कोविक्ज कहती हैं, “विज्ञान उन सवालों से पिंड नहीं छुड़ा सकता जिनसे समाज जूझ रहा होता है- हमारे समाज में पूर्वाग्रह, नस्लवाद, रंगभेद, लैंगिक भेदभाव, समलैंगिक घृणा व्याप्त हैं.”

वाल्कोविक्ज कहती हैं कि वैज्ञानिक बिरादरी “एलजीबीटीक्यू या हाशिये के लोगों, वंचितों, गैर-गोरों, लिंग-अनुरूपता के प्रतिरोधियों या विकलांगों को अभी भी अवांछित मानती है. ऐसे बहुत से तरीके हैं जिनके जरिए व्यापक तौर पर विज्ञान और खासतौर पर खगोलविज्ञान, बहुत से लोगों के प्रति उदासीन रवैया दिखाता रहा है.”

इसलिए भले ही जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप (जेडब्लूएसटी) एक हाई-प्रोफाइल मिशन की मिसाल है- मानव अभियांत्रिकी का एक उत्सव- लेकिन वाल्कोविक्ज कहती हैं कि “उस दूरबीन का अमेरिका में एक ज्यादा बड़ी खींचतान से संबंध है जो इधर स्मारकों और उनके नामधारियों को लेकर जारी बहस में उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंच चुकी है.”

नासा कहती है कि उसने वेब के खिलाफ आरोपों की जांच की है, और उसे कोई सबूत नहीं मिला है लिहाजा मिशन से उनका नाम हटाने की मांगों को उसने खारिज कर दिया है.

क्या वेब पर लगे आरोप गलत हैं?

‘अ क्वॉन्टम लाइफ’ के लेखक और नेशनल सोसायटी ऑफ ब्लैक फिजिसिस्ट्स के निर्वाचित अध्यक्ष हकीम ओलुसेयी ने अपने लोकप्रिय ब्लॉग पोस्ट “नासा के इतिहास पुरुष जेम्स वेब क्या एक वैचारिक कट्टर हैं?”में वेब पर लगे आरोपों की विस्तार से छानबीन की है. 

ओलुसेयी इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि वेब पर गलत इल्जाम लगाए गए हैं और आरोप लगाने वाले कई लोग इस सूचना को अनदेखा कर देते हैं कि वेब ने नासा में रहते हुए नस्ली समन्वय और समान अवसरों को प्रोत्साहित किया था.

ओलुसेयी कहते हैं कि “अगर ये सच होता कि जेम्स वेब उन चीजों के दोषी हैं जिनका दावा ये लोग करते हैं – और ये सच है भी नहीं – तो उस स्थिति में तो बेशक इसका कुछ मतलब होता.”

ओलुसेयी की दलील है कि आरोप लगाने वाले, वेब की पोजीशन और उस समय का संदर्भ देने में नाकाम रहे हैं- जैसे कि वेब विदेश विभाग में उच्च स्थान पर कभी थे भी नहीं. अपनी ब्लॉग पोस्ट में ओलुसेयी हैरानी जाहिर करते हुए बताते हैं, “अगर वेब ने सिर्फ एक ‘अच्छा सैनिक’ होने के नाते आदेशों का पालन करते हुए गे लोगों का दमन किया था…तो ये न भूलिए कि उसी व्यक्ति ने नासा के ठिकानों में समन्वय बढ़ाने के हुक्म की तामील भी की थी.”

उन्हें गे लोगों के प्रति भेदभाव में दूर दूर तक वेब का हाथ नजर नहीं आता. ओलुसेयी वैसे मानते हैं कि शीत युद्ध के दौर में “सुरक्षा खतरों” के दायरे में गे भी रखे गए थे. वह कहते हैं, “अगर आप संघीय सरकार में लीडरशिप की भूमिका ऐसे समय में निभा रहे थे जब किसी भी समूह के विरोध वाली संघीय नीति अस्तित्व में रही थी तो आप अयोग्य ठहरा दिए जाते हैं.”

काले व्यक्ति के रूप में ओलुसेयी मानते हैं कि उन्हें भेदभाव का पता है कि वो कैसा होता है और कैसा महसूस होता है- एक मनोवैज्ञानिक रडार – वह उच्च अवस्था वाली संवेदनशीलता जो आप सालों से जूझते हुए विकसित कर लेते हैं.

अंध समर्थक और भक्त! कृपया दूर रहें

वाल्कोविक्ज और उनके सहकर्मी कहते हैं कि अगर आप निदेशक के रूप में दूसरे लोगों के अच्छे कामों का श्रेय ले सकते हैं, तो आपको उनकी नागवार हरकतों का उत्तरदायित्व भी लेना चाहिए. वाल्कोविक्ज कहती हैं, “क्या वे ऐसी तस्वीर चाहते हैं कि गे लोगों के लिए जेम्स वेब होने का मतलब क्या है?” उनके मुताबिक, “भेदभाव जैसा दिखता है उस बारे में ये एक कार्टूनी समझ है.”

“और क्या सबूत चाहिए, एक नासा कर्मचारी से पूछताछ की जाती है जिसे आखिरकार अपने यौनिक अनुकूलन के चलते नौकरी गंवानी पड़ती है? क्या जेम्स वेब तभी जिम्मेदार माने जाएंगे जब वो कमरे में खुद मौजूद होंगे. ”

ये बहस अब काफी लिथड़ चुकी है. बाहर से लगता है कि ओलुसेयी और वाल्कोविक्ज जैसे परस्पर पूर्व सहकर्मी एक नशीली झूम के साथ आपस में उलझे हुए हैं, और भावनाओं का ज्वार उफान पर है. ओलुसेयी कहते हैं, “लंबे समय तक हम लोग सहज थे.”

वाल्कोविक्ज इस मुद्दे पर किसी बहस को बेकार मानती हैं. वो कहती हैं, “खगोलविज्ञान में क्वीअर समुदाय के खिलाफ भेदभाव एक अनवरत समस्या है, इसका असर आज फील्ड में तैनात लोगों की जिंदगियों और नतीजों पर पड़ता है, इसमें जूनियर खगोलविद् भी शामिल हैं.”

अगली पीढ़ी पर प्रभाव

इस बहस की प्रकृति कुछ इस किस्म की है कि ये जूनियर खगोलविज्ञानियों के भविष्य को भी बरबाद कर सकती है. किसी भी पृष्ठभूमि के हों, युवा वैज्ञानिक भला उन ट्वीट पोस्ट से क्या नतीजा निकालेंगे जिनमें एक काले अमेरिकी वैज्ञानिक को बेतरह फटकारा जाता है. वो वैज्ञानिक, तथ्यों पर ये कहकर सवाल उठाता है कि आलोचक अपना “मुख्यधारा की पढ़त का चश्मा” साथ रखें. 

कुछ लोग मानते हैं कि ऐसी बहस उस डाटा से भी ध्यान हटा सकती है जो वैज्ञानिकों के मुताबिक जेम्स वेब दूरबीन से सबके भले के लिए हासिल होगा. वाल्कोविक्ज कहती हैं, “ये थका देने वाला है. मुझे इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं है. मुझे उस नये डाटा को लेकर अपना रोमांच दिखाना चाहिए जो ये दूरबीन जुटाने वाली है. हम सब लोग बस डाटा को लेकर ही खुश होते रहना चाहते हैं.”

ओलुसेयी भी डीडबल्यू से बात करते हुए थके हुए दिखे. वो कहते हैं कि अपने नाम और प्रतिष्ठा पर सार्वजनिक हमले उन्होंने झेले हैं. यहां पर फिर वो सवाल उठता हैः क्या इसी निगाह से आज युवा वैज्ञानिकों को खगोलविज्ञान को देखना चाहिए?

ओलुसेयी कहते हैं, “तमाम राजनीति की तरह, शोर मचाते चरमपंथी ही ध्यान खींचने में सफल होते हैं, और उन खास दबंग लोगों के संपर्क भी तगड़े हैं और वे काफी स्मार्ट हैं.”

“वो विपक्ष या विरोध की परिभाषा तय करते हैं, लेकिन मैं विरोध में नहीं हूं. मैं उन्हीं की तरह इंसाफ चाहता हूं. मैं इतनी भीषण नाइंसाफी में पला-बढ़ा हूं कि बता नहीं सकता- लेकिन मैं कुछ और सोच रहा हूं. इसे पलट दो और अब मेरी बात सुनो.”

“चलो, इसे अब सही तरीके से करो.”

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SourceDw.com

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