26.1 C
New Delhi
Friday, September 20, 2024

फेसबुक व्हिसलब्लोअर ने जकरबर्ग से पद छोड़ने का आग्रह किया

पूर्व फेसबुक कर्मचारी और व्हिसलब्लोअर बनी फ्रांसिस हॉगेन ने सोमवार को फेसबुक के रीब्रांड की कटु आलोचना की. उन्होंने अपने आरोपों को दोहराया कि कंपनी ने लोगों की सुरक्षा के बजाय विस्तार को प्राथमिकता दी. दरअसल हॉगेन ही वह पूर्व कर्मचारी हैं जिन्होंने कंपनी से जुड़े दस्तावेज लीक किए. उसके बाद से ही फेसबुक सीईओ जकरबर्ग की दुनियाभर में आलोचना हो रही है. तमाम आरोपों के बीच अक्टूबर के आखिर में जकरबर्ग ने फेसबुक को रीब्रांड करते हुए उसका नाम मेटा कर दिया.

जकरबर्ग ने कहा है कि कंपनी “मेटावर्स” विकसित करने की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है. कंपनी एक आभासी दुनिया पर बाजी लगा रही है, जिसे वह इंटरनेट की अगली पीढ़ी बताती है. मेटावर्स में कल्पना की कोई सीमा नहीं होगी. मिसाल के तौर पर अब आप वीडियो कॉल करते हैं तो मेटावर्स में आप वीडियो कॉल के अंदर होंगे. यानी आप सिर्फ एक दूसरे को देखेंगे नहीं, उसके घर, दफ्तर या जहां कहीं भी हैं, वहां आभासी रूप में मौजूद होंगे.

हॉगेन ने क्या कहा?

हाल के हफ्तों में अमेरिका और ब्रिटेन के सांसदों के सामने पेश हो चुकीं हॉगेन ने लिस्बन में वेब समिट यानी तकनीकी सम्मेलन में अपना पहला सार्वजनिक बयान दिया. उन्होंने कहा कि यह “अनर्थक” है कि कंपनी मौजूदा समस्याओं को ठीक करने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय “मेटावर्स” विकसित करने की अपनी योजनाओं की तुरही कर रही है.

उन्होंने पुर्तगाली राजधानी में हजारों की संख्या में मौजूद दर्शकों से कहा, “फेसबुक बार-बार नए क्षेत्रों में विस्तार का विकल्प चुनती है, जो उसने पहले ही किया है.” उन्होंने कंपनी की नई परियोजना के लिए यूरोप में अपने कर्मचारियों की संख्या का विस्तार करने की योजना का जिक्र है करते हुए कहा, “यह सुनिश्चित करने में निवेश करने के बजाय कि उनके प्लेटफॉर्म न्यूनतम स्तर के सुरक्षित हैं वे वीडियो गेम्स में 10,000 इंजीनियरों की भर्ती करने वाली है.”

“इस्तीफा दें जकरबर्ग”

जब उनसे पूछा गया कि क्या जकरबर्ग को अपने पद से हट जाना चाहिए तो उन्होंने कहा, “मुझे लगता है, फेसबुक किसी ऐसे व्यक्ति के साथ मजबूत होगी जो सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने को तैयार है, इसलिए हां.”

पिछले दिनों भारत में कांग्रेस ने फेसबुक पर भारत के चुनावों को “प्रभावित” करने और लोकतंत्र को “कमजोर” करने का आरोप लगाते हुए इसकी संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है. इस बीच सोमवार को कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने कहा कि उनकी अध्यक्षता वाली सूचना एवं प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति इस महीने के आखिर तक फेसबुक से जुड़े कुछ व्हिसलब्लोअर को भारत बुला सकती है ताकि वे अपना पक्ष रख सकें.

दरअसल फेसबुक के कुछ लीक हुए दस्तावेजों से पिछले दिनों यह खुलासा हुआ कि वेबसाइट भारत में नफरती संदेश, झूठी सूचनाएं और भड़काऊ सामग्री को रोकने में भेदभाव बरतती रही है. इसी पर कांग्रेस जेपीसी की मांग करती आ रही है.

- Advertisement -
SourceDw.com

Latest news

- Advertisement -spot_img

Related news

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here