ऑटो और एयरोस्पेस इंडस्ट्री में धूम मचाने के बाद दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क (Elon Musk) की नजर अब टेलिकॉम इंडस्ट्री पर है। उनकी कंपनी स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन (SpaceX) ने स्टालिंक इंटरनेट सर्विस के लिए 1000 से भी अधिक सैटेलाइट छोड़े हैं। कंपनी अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में धड़ाधड़ ग्राहकों के साथ साइन करने में लगी है। SpaceX ने निवेशकों से कहा है कि स्टारलिंक की नजर इन-फ्लाइट इंटरनेट, मैरिटाइम सर्विसेज, भारत और चीन में डिमांड और रूरल कस्टमर्स पर है। यह पूरा बाजार एक ट्रिलियन डॉलर का है।
कई महीनों से SpaceX अपने Falcon 9 रॉकेट्स से स्टारलिंक सैटेलाइट्स लॉन्च करने में लगी है। एक बार में 60 सैटेलाइट भेजे जा रहे हैं। 17वां स्टारलिंक लॉन्च 20 जनवरी को हुआ था। ऑर्बिट में कंपनी के 960 सैटेलाइट एक्टिव हैं। इससे स्पेसएक्स नॉर्थ अमेरिकी और ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर सर्विस शुरू करने की तैयारी में है। इस बारे में स्पेसएक्स ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
सस्ती सेवा
एयरोस्पेस और डिफेंस इंडस्ट्रीज पर नजर रखने वाली कंपनी Alvaraez & Marsal के एमडी Luigi Peluso ने कहा कि लोग कंपनी की सर्विस से खुश हैं। स्टारलिंक लोगों को सस्ते मे सेवा दे रही है। स्पेसएक्स ने अपने सॉल्यूशंस की व्यावहारिकता साबित की है। पिछले साल स्पेसएक्स के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर Gwynne Shotwell ने कहा कि स्टारलिंक ऐसा बिजनस है जिसे पब्लिक किया जा सकता है। पिछले साल टेस्ला इंक को बाजार ने हाथोंहाथ लिया था और कंपनी के शेयरों में उछाल की बदौलत मस्क दुनिया के सबसे बड़े रईस बन गए।
स्टालिंक अगर भारत में एंट्री करती है तो यहां उसे मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो (Reliance Jio) से कड़ा मुकाबला करना होगा जो 5जी लॉन्च करने की तैयारी में है। बैंक ऑफ अमेरिका ग्लोबल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार जियो 4जी रोलआउट भारत के इंटरनेट क्षेत्र के लिए गेम चेंजर साबित हुआ है। इसने किफायती दामों पर यूजर्स को इंटरनेट मुहैया कराया जिससे बड़े पैमाने पर डेटा उपयोग को बढ़ावा मिला। भारत में अब करीब 65 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं जो औसतन 12 GB डेटा प्रतिमाह इस्तेमाल करते हैं। जियो ने सस्ती कीमतों पर डेटा और सेवाएं प्रदान करके बाजार के आकार को बढ़ाया है।
आसान नहीं है राह
हालांकि स्टारलिंक को इस फील्ड में कड़ी स्पर्द्धा का सामना करना पड़ेगा। दूरदराज के इलाकों में फाइबर ऑप्टिक कैबल को बिछाना काफी महंगा पड़ता है। 5जी और फिर 6जी के आने से सेल्युलर कनेक्टिविटी में क्रांति आने की संभावना है। फेसबुक इंक जैसी कंपनियां दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं पहुंचाने के लिए कई इनोवेटिव तरीके विकसित करने में लगी हैं।