दुनियाभर में कोरोनावायरस से निपटने के लिए वैक्सीन का ट्रायल जारी है। इस बीच हर दिन लगभग 3000 मौतों से जूझने वाले अमेरिका ने फाइज़र के बाद मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन को भी मंजूरी दे दी है। अमेरिका के फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन के एक पैनल ने मॉडर्ना के कोरोना वायरस वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी है। पैनल ने इसे कोरोना से निपटने का दूसरा विकल्प बताया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि मॉडर्ना वैक्सीन का वितरण तत्काल प्रभाव से शुरू हो जाएगा।
इससे पहले अमेरिका में पिछले दिनों फाइज़र द्वारा विकसित कोविड-19 टीके के आपात इस्तेमाल को पिछले दिनों मंजूरी मिली थी और लोगों को टीके दिए जा रहे हैं। कम संख्या में उपलब्ध यह टीके ज्यादातर स्वास्थ्य कर्मियों को दिए जा रहे हैं।
यह वैक्सीन काफी हद तक फाइज़र और जर्मनी की BioNtech की बनाई वैक्सीन जैसी ही है। इन वैक्सीनों पर किए जा रहे शुरुआती शोधों के मुताबिक, दोनों ही वैक्सीन सुरक्षित हैं। हालांकि, मॉडर्ना वैक्सीन का रखरखाव आसान है क्योंकि इसे फाइज़र की तरह -75 डिग्री सेल्सियस में रखने की जरूरत नहीं है।
अमेरिका में अब तक कोरोनावायरस की वजह से 3 लाख 12 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई है। बीते बुधवार को एक दिन में ही 3 हजार 600 अमेरिकियों ने कोरोना की वजह से दम तोड़ा। कोरोना ने दुनियाभर में अब तक 17 लाख लोगों की जान ली है।
फाइज़र और मॉडर्ना वैक्सीन के रखरखाव में है अंतर
फाइज़र के कोरोना टीके को माइनस -75 डिग्री सेल्सियस में रखना अनिवार्य है। यह टीका किसी भी वैक्सीन की तुलना में लगभग 50 डिग्री अधिक ठंडा होना चाहिए। वैक्सीन को समाप्त होने से पहले केवल पांच दिनों तक रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है। फाइज़र का टीका अस्पतालों के साथ ही प्रमुख संस्थानों के लिए अधिक इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, मॉडर्ना की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस टीके को सुपर-कोल्ड तापमान पर रखने की जरूरत नहीं है। मॉर्डन के टीके को माइनस-20 डिग्री सेल्सियस पर या घर के फ्रीजर के तापमान में रख सकते हैं। टीके को समाप्त होने से पहले 30 दिनों के लिए रेफ्रिजरेटर में भी रखा जा सकता है। मॉडर्ना की वैक्सीन स्थानीय श्रृंखला या फार्मासिस्ट जैसी छोटी सुविधाओं के लिए अधिक उपयोगी हो सकती है।
किन्हें दिए जा सकते हैं ये टीके?
फाइज़र वैक्सीन 16 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को दी जाएगी और मॉडर्ना वैक्सीन को 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को दी जाएगी।
स्वदेशी कोवैक्सीन के लिए कम पड़े वॉलेंटियर
भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके के तीसरे चरण के ट्रायल लिए ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को पर्याप्त संख्या में वॉलंटियर नहीं मिल रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि लोग यह सोच कर नहीं आ रहे हैं कि जब सबके लिए टीका जल्दी ही उपलब्ध हो जाएगा तो ट्रायल में भाग लेने की क्या जरूरत है। ‘कोवैक्सिन’ के अंतिम चरण के ट्रायल के लिए जो संस्थान तय किए गए हैं, उनमें एम्स भी है। ट्रायल के लिए संस्थान को करीब 1,500 लोग चाहिए। कोवैक्सिन का निर्माण भारत बायोटेक और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तरफ से संयुक्त रूप से किया जा रहा है। एम्स में सामुदायिक चिकित्सा विभाग में प्रफेसर डॉक्टर संजय राय ने कहा, ‘हमें 1500 से 2000 के करीब लोग चाहिए थे लेकिन अभी तक केवल 200 लोग आए हैं।