30.1 C
New Delhi
Saturday, September 21, 2024

अमेरिकी सेना ने चीनी जासूसी बलून को गिरा दिया

अमेरिका के मुताबिक, यह बलून उत्तरी अमेरिका के कई संवेदनशील सैन्य ठिकानों से गुजरा था. अब अमेरिकी नौसेना इस कथित जासूसी बलून का मलबा खोज रही है. इसका मलबा पानी करीब 11 किलोमीटर के इलाके में फैला है. इसे जमा करने के लिए कई जहाजों को लगाया गया है. नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड और अमेरिकी नॉदर्न कमांड के कमांडर जनरल ग्लैन वान हेर्क ने बताया कि नौसेना बलून और उसके पेलोड को तलाश रही है. स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि मलबे का हिस्सा लहरों के साथ बहकर समुद्रतट पर पहुंच सकता है. लोगों से कहा गया है कि वे मलबे के किसी हिस्से को हाथ ना लगाएं और ऐसा कुछ दिखते ही प्रशासन को जानकारी दें.

अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, राष्ट्रपति बाइडेन पहले ही इस बलून को गिराना चाहते थे. मगर उन्हें सलाह दी गई कि बलून के समुद्र के ऊपर पहुंचने के बाद ही ऐसा करना बेहतर होगा. सैन्य अधिकारियों को अंदेशा था कि जमीनी इलाके के ऊपर रहते हुए अगर बलून को गिराया जाए, तो नीचे लोगों के लिए खतरा हो सकता है.

क्या है मामला?

2 फरवरी को अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने बताया कि वो एक संदिग्ध जासूसी बलून पर नजर रख रहा है. पेंटागन ने कहा कि यह बलून चीन का है और पिछले कई दिनों से अमेरिकी हवाई क्षेत्र में घूम रहा है. अमेरिका के डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि बलून ने अमेरिका के कई सामरिक ठिकानों की निगरानी करने की कोशिश की. अमेरिका का आरोप है कि यह दरअसल एक चीनी जासूसी बलून था. इसके बाद 3 फरवरी को पेंटागन ने बताया कि एक और बलून लैटिन अमेरिकी क्षेत्र में भी देखा गया है.

अमेरिका के मुताबिक, उसके और लैटिन अमेरिकी हवाई क्षेत्र में देखे गए बलून चीन के उन हवाई उपकरणों का हिस्सा हैं जिन्हें वह निगरानी रखने के लिए इस्तेमाल करता है. एक अधिकारी के मुताबिक, इन बलूनों में नीचे की ओर एक हिस्सा होता है, जिनमें उपकरण लगे होते हैं. ये उपकरण वैसे नहीं हैं, जो आमतौर पर मौसमी सर्वेक्षणों या रिसर्च जैसी गतिविधियों में इस्तेमाल होते हैं.

बलून कब पहुंचा अमेरिका?

अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, यह बलून पहली बार 28 जनवरी को अलास्का स्थित अलूशन आइलैंड्स के उत्तर से होते हुए अमेरिकी हवाई क्षेत्र में दाखिल हुआ. फिर अलास्का के ऊपर से होते हुए यह कनाडाई हवाई सीमा में घुसा और फिर 31 जनवरी को उत्तरी इडाहो के ऊपर से वापस अमेरिका में दाखिल हुआ. व्हाइट हाउस के मुताबिक, इसी रोज पहली बार राष्ट्रपति बाइडेन को बलून के बारे में जानकारी दी गई. 1 फरवरी को यह बलून मोंटाना के ऊपर देखा गया. यहां अमेरिकी वायु सेना का बेस है और परमाणु मिसाइल लॉन्चिंग साइलोस भी हैं.

न्यूज एजेंसी एपी ने रक्षा विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से बताया है कि अमेरिका ने कुछ दिनों तक बलून की निगरानी और समीक्षा की. इसके उड़ने के तरीके की जांच की गई और यह भी देखा गया कि क्या बलून सर्विलांस करने में सक्षम है. इन अधिकारियों ने एपी को यह भी बताया कि संबंधित विभागों ने अपनी जांच में पाया कि यह बलून, सैटेलाइट से जमा की जा सकने वाली खुफिया जानकारियों के परे चीन को ऐसी खास अतिरिक्त जानकारी नहीं दे सकता. 

ये भी पढ़े : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति का हुआ निधन

- Advertisement -
Sourcedw.com

Latest news

- Advertisement -spot_img

Related news

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here