श्रीलंका आजादी के बाद इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है जिसने देश में अराजकता की स्थिति पैदा कर दी है. सामानों की कमी और महंगाई से परेशान लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर पूरे कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया है जिस कारण देश में ईंधन और सभी जरूरी सामानों की कमी हो गई है. इस बीच श्रीलंका में विपक्ष के नेता सजित प्रेमदासा ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है.
समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका में विपक्ष के नेता सजित प्रेमदास ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आग्रह किया कि वो जितना संभव हो सके, श्रीलंका की मदद करने का प्रयास करें.
एएनआई से बातचीत में पीएम मोदी को संदेश देते हुए सजित प्रेमदासा ने कहा, ‘कृपया कोशिश करें और श्रीलंका की जितना संभव हो सके, मदद करें. यह हमारी मातृभूमि है, हमें अपनी मातृभूमि को बचाने की जरूरत है.’
श्रीलंकाई नेता ने कैबिनेट के सामूहिक इस्तीफे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ये देश के लोगों को ‘धोखा देने के लिए बनाया गया मेलोड्रामा’ है.
आर्थिक संकट से पैदा हुए राजनीतिक संकट को लेकर प्रेमदास ने कहा कि इस्तीफे श्रीलंका को राहत देने के लिए वास्तविक प्रयास नहीं हैं, बल्कि लोगों को मूर्ख बनाने की कवायद है.
उन्होंने कहा, ‘ये एक मेलोड्रामा है जो हमारे देश के लोगों को ठगने के लिए किया जा रहा है. ऐसा करके ये लोग (कैबिनेट) देश के लोगों को कोई वास्तविक राहत देने का काम नहीं कर रहा है. बल्कि ये लोगों को बेवकूफ बनाने की कवायद है.’
प्रेमदास ने कहा कि श्रीलंका में एक बड़े और ठोस परिवर्तन की जरूरत है जो यहां के राजनीतिज्ञों को नहीं बल्कि नागरिकों को राहत देने का काम करेगा. उन्होंने राजपक्षे परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीति म्यूजिकल चेयर वाला खेल नहीं है जहां राजनीतिज्ञ अपने कुर्सियां बदलते रहते हैं.
उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, ‘हम पहले इस्तीफा चाहते हैं और फिर हम एक राजनीतिक मॉडल चाहते हैं जो सही तरीके से काम करे. एक नया श्रीलंका मजबूत संस्थानों के साथ शुरू होगा न कि केवल नेतृत्व में बदलाव के साथ. अंतरिम सरकार के गठन की बात महज एक पार्टी पॉलिटिक्स है.’
इस बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने राष्ट्रीय संकट का समाधान खोजने के लिए विपक्षी दलों को सरकार के साथ मिलकर काम करने का न्योता दिया है. सभी राजनीतिक दलों को संबोधित पत्र में, राजपक्षे ने मौजूदा संकट के लिए कई आर्थिक और वैश्विक कारकों को जिम्मेदार ठहराया है.
पत्र में उन्होंने लिखा, ‘हम एशिया के अग्रणी लोकतंत्रों में से एक हैं…इस समस्या को लोकतंत्र के ढांचे के भीतर ही संबोधित करने की जरूरत है. हमें अपने देश के लोगों और आने वाली पीढ़ियों की भलाई के लिए राष्ट्रीय हित में मिलकर काम करना चाहिए.’
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